यश ओबेरॉय
Thursday, October 7, 2010
मेरे लिए सिर्फ माँ
जब गूंजे
आरती,अरदास या अजान
आँखे बंद हों या खुली
उभरती है सिर्फ उसकी चमकदार आकृति
ऋण चूका न सकेगा कोई
उसका मोल है अनमोल
बुदबुदाती है वो हर वक़्त
मेरे लिए सिर्फ दुवाएं
चाहे बेरुखी मेरी हो बेहिसाब
नाम कुछ भी हो उसका
मेरे लिए सिर्फ माँ है .
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