Thursday, October 7, 2010

मेरे लिए सिर्फ माँ

जब गूंजे 
आरती,अरदास या अजान 
आँखे बंद हों या खुली 
उभरती है सिर्फ उसकी चमकदार आकृति 
ऋण चूका न सकेगा कोई 
उसका मोल है अनमोल
बुदबुदाती है वो हर वक़्त 
मेरे लिए सिर्फ दुवाएं 
चाहे बेरुखी मेरी हो बेहिसाब 
नाम कुछ भी हो उसका
मेरे लिए सिर्फ माँ है .

2 comments:

  1. एक रंगकर्मी हो या कवि कथाकार वह मूलत: कलाकार ही होता है जो भावों को प्रकट करता है । इस कविता में भावों की सुन्दर प्रस्तुति है ... बधाई ।

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  2. साकार होते भाव.

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